ईरान और यूरोपीय देश परमाणु कार्यक्रम पर चर्चा के लिए मिले

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ईरान 25 जुलाई 2025 को इस्तांबुल में ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी के साथ अपने परमाणु कार्यक्रम पर नई वार्ता करेगा। यह बैठक जून 2025 में ईरान पर हुए हालिया हमलों के बाद हो रही है, जिनका समर्थन संयुक्त राज्य अमेरिका ने किया था। ईरान के उप विदेश मंत्री काज़ेम ग़रीबाबादी और उप विदेश मंत्री अली बघेरी कनी इस बैठक में भाग लेंगे।

यह वार्ता इस्तांबुल में 16 मई 2025 को हुई पिछली वार्ता का एक हिस्सा है, जिसका उद्देश्य सभी पक्षों के बीच एक सामान्य आधार स्थापित करना था। वर्तमान में, मुख्य असहमति के बिंदुओं में ईरान का यूरोपीय देशों द्वारा प्रस्तावित "स्नैपबैक" तंत्र पर रुख शामिल है। यह तंत्र संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंधों को फिर से लागू करेगा, जो संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ चल रहे तनावों को देखते हुए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। 2015 में ईरान और P5+1 समूह के बीच हस्ताक्षरित परमाणु समझौता, अमेरिका के 2018 में समझौते से हटने और तेहरान पर प्रतिबंधों को फिर से लागू करने के बाद से महत्वपूर्ण बाधाओं का सामना कर रहा है। इसके जवाब में, ईरान ने समझौते के प्रति अपनी प्रतिबद्धताओं को कम कर दिया है, जबकि यूरोपीय देश अमेरिकी प्रतिबंधों के आर्थिक प्रभाव को कम करने में विफल रहे हैं।

ईरानी विदेश मंत्री होसैन अमीर-अब्दोल्लाहियन ने यूरोपीय देशों द्वारा "स्नैपबैक" तंत्र को लागू करने के किसी भी कानूनी आधार से इनकार किया है। उन्होंने जोर देकर कहा कि इन देशों ने "परमाणु समझौते की नींव को कमजोर किया है और व्यावहारिक रूप से इसके लाभों को शून्य कर दिया है"। यह बैठक ईरान और यूरोपीय देशों के बीच बढ़ते तनाव के बीच हो रही है। इसे परमाणु समझौते को पूरी तरह से ढहने से बचाने के अवसर के रूप में देखा जा रहा है, जिसमें आपसी चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।

पृष्ठभूमि में, ईरान का परमाणु कार्यक्रम 1950 के दशक में संयुक्त राज्य अमेरिका के समर्थन से शुरू हुआ था। 1979 की क्रांति के बाद इसमें बाधा आई, लेकिन 1980 के दशक में यह फिर से शुरू हुआ। हाल के वर्षों में, ईरान ने यूरेनियम संवर्धन को 60% तक बढ़ा दिया है, जो हथियार-ग्रेड के करीब है और नागरिक उद्देश्यों से कहीं अधिक है। अमेरिका और इज़राइल द्वारा जून 2025 में ईरान के परमाणु और सैन्य ठिकानों पर किए गए हमलों ने स्थिति को और जटिल बना दिया है। इन हमलों के बाद, ईरान ने अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के साथ सहयोग निलंबित कर दिया था। यूरोपीय देश ईरान पर दबाव बना रहे हैं कि वह अपने परमाणु कार्यक्रम को सीमित करे और IAEA निरीक्षकों को फिर से काम करने की अनुमति दे। यदि ईरान अगस्त के अंत तक एक राजनयिक समाधान पर सहमत नहीं होता है, तो यूरोपीय देश "स्नैपबैक" तंत्र को सक्रिय करके संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंधों को फिर से लागू करने के लिए तैयार हैं। यह तंत्र 2015 के परमाणु समझौते का हिस्सा है और यदि ईरान अपनी परमाणु प्रतिबद्धताओं का उल्लंघन करता है तो संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंधों की तत्काल पुनःस्थापना की अनुमति देता है।

स्रोतों

  • جريدة زمان التركية

  • HuffPost España

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