19 अगस्त, 2025 को ईरान के विदेश मंत्री ने घोषणा की कि तेहरान अपने परमाणु कार्यक्रम को फिर से शुरू करने और राजनयिक वार्ता में शामिल होने के लिए तैयार है। यह बयान यूरोपीय देशों - फ्रांस, ब्रिटेन और जर्मनी (E3) द्वारा ईरान से अपनी परमाणु गतिविधियों को रोकने का आग्रह करने के बाद आया है। यूरोपीय देशों ने ईरान पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है, जिससे तनाव बढ़ गया है।
ईरान का यह कदम 2015 के परमाणु समझौते, जिसे संयुक्त व्यापक कार्य योजना (JCPOA) के रूप में जाना जाता है, के संदर्भ में महत्वपूर्ण है। इस समझौते का उद्देश्य ईरान को परमाणु हथियार हासिल करने से रोकना था, जिसके बदले में उस पर लगे प्रतिबंधों में ढील दी जानी थी। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने जुलाई 2015 में प्रस्ताव 2231 के माध्यम से JCPOA का समर्थन किया था, जिसने ईरान के परमाणु कार्यक्रम से संबंधित प्रतिबंधों को हटा दिया था, लेकिन हथियारों की बिक्री और बैलिस्टिक मिसाइलों के हस्तांतरण पर कुछ प्रतिबंध बनाए रखे थे। इस प्रस्ताव में एक 'स्नैपबैक' तंत्र भी शामिल था, जो किसी भी पक्ष को ईरान के गैर-अनुपालन की स्थिति में प्रतिबंधों को फिर से लागू करने की अनुमति देता है। यह तंत्र 18 अक्टूबर, 2025 को समाप्त हो रहा है।
हाल ही में, 28 अगस्त, 2025 को, E3 देशों ने ईरान के कथित "स्पष्ट और जानबूझकर" गैर-अनुपालन का हवाला देते हुए, स्नैपबैक तंत्र को सक्रिय करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस कदम ने एक 30-दिवसीय घड़ी शुरू कर दी है, जिसके बाद संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंध फिर से लागू हो सकते हैं। यूरोपीय देशों का यह निर्णय 2015 में निर्धारित समय-सीमाओं से प्रेरित है, क्योंकि JCPOA और प्रस्ताव 2231 दोनों के प्रमुख प्रावधानों की समाप्ति तिथि नजदीक आ रही है।
जून 2025 में ईरान और इज़राइल के बीच हुए 12-दिवसीय युद्ध के बाद, जिसमें ईरान की परमाणु सुविधाओं पर बमबारी की गई थी, ईरान ने अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के निरीक्षकों के लिए अपनी पहुँच को सीमित कर दिया था, जो E3 की चिंताओं का एक प्रमुख कारण है। ईरान के विदेश मंत्री अब्बास इराक्ची ने E3 के इस कदम को "अनुचित, अवैध और किसी भी कानूनी आधार के बिना" बताते हुए इसकी कड़ी निंदा की है और कहा है कि तेहरान "उचित प्रतिक्रिया" देगा। इराक्ची ने यह भी दोहराया कि ईरान "निष्पक्ष और संतुलित" कूटनीतिक वार्ता फिर से शुरू करने के लिए तैयार है, बशर्ते कि दूसरे पक्ष गंभीरता और सद्भावना दिखाएं। उन्होंने यूरोपीय देशों पर ईरान की परमाणु सुविधाओं पर अमेरिका और इज़राइल द्वारा किए गए "अवैध हमलों" पर यूरोपीय संघ की चुप्पी की भी आलोचना की।
विशेषज्ञों का मानना है कि E3 की कार्रवाई एक "उपयोग करो या खो दो" की स्थिति को दर्शाती है, क्योंकि JCPOA की समाप्ति तिथि नजदीक है। कुछ विश्लेषकों का सुझाव है कि E3 का उद्देश्य ईरान पर अमेरिका के साथ अपनी परमाणु कार्यक्रम पर बातचीत फिर से शुरू करने के लिए दबाव डालना है। ईरान की संभावित प्रतिक्रियाओं में IAEA के साथ अपने असहयोग को और अधिक औपचारिक बनाना या परमाणु अप्रसार संधि (NPT) से हटने की धमकी देना शामिल हो सकता है। ईरान पर 400 किलोग्राम 60% समृद्ध यूरेनियम के भंडार का हिसाब देने का भी दबाव है, जो हथियार-ग्रेड यूरेनियम के करीब है।
अक्टूबर 2025 में रूस द्वारा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता संभालने से पहले इस प्रक्रिया का निष्कर्ष निकालना यूरोपीय देशों के लिए महत्वपूर्ण है, ताकि प्रक्रियात्मक बाधाओं से बचा जा सके। यह स्थिति ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर एक नाजुक मोड़ पर है, जहाँ कूटनीति और टकराव के बीच संतुलन बनाना आवश्यक है। ईरान की ओर से वार्ता की तत्परता एक संकेत है कि कूटनीतिक समाधान की गुंजाइश बनी हुई है, लेकिन यह तभी संभव होगा जब सभी पक्ष सद्भावना और रचनात्मक दृष्टिकोण अपनाएं।