वर्ष 2025 में, यूक्रेन में युद्धविराम के बदले रूस को क्षेत्रीय रियायतें देने की संभावना पर राजनयिक चर्चाएँ केंद्रित थीं। यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने इस विचार को असंवैधानिक और रूसी आक्रामकता को और बढ़ाने वाला बताते हुए दृढ़ता से अस्वीकार कर दिया। यह रुख यूक्रेनी और यूरोपीय अधिकारियों द्वारा भी समर्थित था, जिन्होंने यूक्रेन की क्षेत्रीय अखंडता से संबंधित किसी भी निर्णय में कीव की भागीदारी पर जोर दिया। सुरक्षा गारंटी पर भी चर्चा हुई, हालांकि उनके दायरे और प्रकृति को लेकर महत्वपूर्ण असहमति बनी हुई है।
हाल के हमलों के बावजूद, क्रेमलिन ने शांति वार्ता में निरंतर रुचि व्यक्त की है। 28 अगस्त, 2025 को कीव पर हुए बड़े पैमाने पर मिसाइल और ड्रोन हमले, जिसमें कम से कम 23 नागरिक मारे गए, के बाद भी रूस ने बातचीत जारी रखने की इच्छा जताई। क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने कहा कि रूसी सशस्त्र बल यूक्रेन के सैन्य बुनियादी ढांचे को सफलतापूर्वक निशाना बना रहे हैं, लेकिन रूस बातचीत जारी रखने में रुचि रखता है। यूक्रेन के अधिकारियों का कहना है कि हाल के महीनों में रूसी हमलों में नागरिकों की मौतें बढ़ी हैं।
यूक्रेन की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता को बनाए रखने पर ज़ेलेंस्की का रुख अडिग रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया है कि यूक्रेन अपने क्षेत्र का कोई भी हिस्सा नहीं छोड़ेगा, क्योंकि यह देश के संविधान का उल्लंघन होगा। यह स्थिति यूरोपीय नेताओं द्वारा भी साझा की गई है, जिन्होंने किसी भी ऐसे निर्णय में कीव की भागीदारी पर जोर दिया है जो उसकी क्षेत्रीय अखंडता को प्रभावित करता हो। यूरोपीय संघ के नेता यूक्रेन की क्षेत्रीय अखंडता के लिए अपने अटूट समर्थन को रेखांकित करने वाले एक संयुक्त बयान की तैयारी कर रहे हैं।
सुरक्षा गारंटी के मुद्दे पर, यूक्रेन को स्पष्ट जवाबों की आवश्यकता है कि यदि रूस फिर से हमला करता है तो ज़मीन, हवा और समुद्र में उसकी रक्षा कौन करेगा और कैसे। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भी सुरक्षा गारंटी पर चर्चा की है और मॉस्को पर अतिरिक्त प्रतिबंध लगाने की धमकी दी है यदि शांति वार्ता में कोई प्रगति नहीं होती है। यूरोपीय देशों के बीच एक बफर ज़ोन बनाने पर भी विचार किया जा रहा है, जिसमें 4,000 से 60,000 शांति सैनिक तैनात किए जा सकते हैं, लेकिन इस पर अभी तक कोई सार्वजनिक प्रतिबद्धता नहीं है।
यूक्रेन के यूरोपीय सहयोगियों ने रूस पर अधिक दबाव बनाने की वकालत की है, और यह सुनिश्चित करने पर जोर दिया है कि किसी भी शांति समझौते में यूक्रेन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान हो। जर्मनी में हुए एक सर्वेक्षण के अनुसार, 52% जर्मनों का मानना है कि शांति के लिए यूक्रेन को रूस के कब्जे वाले क्षेत्रों को छोड़ने के लिए तैयार रहना चाहिए, हालांकि जर्मन चांसलर फ्रेडरिक मेर्ज़ ने कहा है कि यूक्रेन को क्षेत्र छोड़ने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए। यह स्थिति यूक्रेन के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ है, जो कूटनीतिक समाधान की तलाश में है लेकिन अपनी संप्रभुता से समझौता करने को तैयार नहीं है।