जिनेवा, स्विट्जरलैंड में 5 से 14 अगस्त, 2025 तक 179 देशों के प्रतिनिधि प्लास्टिक प्रदूषण के खिलाफ एक निर्णायक वैश्विक संधि को अंतिम रूप देने के लिए एकत्र हुए हैं। इस बैठक का उद्देश्य प्लास्टिक के पूरे जीवन चक्र को संबोधित करने वाली एक कानूनी रूप से बाध्यकारी अंतरराष्ट्रीय संधि पर सहमति बनाना है। यह संधि प्लास्टिक उत्पादन, खपत, रीसाइक्लिंग और अपशिष्ट प्रबंधन से जुड़े बढ़ते संकट से निपटने के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है। यह इंटरगवर्नमेंटल नेगोशिएटिंग कमेटी (INC-5.2) का पांचवां सत्र है, जो पिछले साल दिसंबर 2024 में बुसान, दक्षिण कोरिया में हुई पिछली वार्ता की विफलता के बाद हो रहा है, जहाँ उत्पादन में कमी और विकासशील देशों के लिए वित्तीय सहायता जैसे प्रमुख मुद्दे अनसुलझे रह गए थे। वर्तमान वार्ताएं एक व्यापक संधि बनाने पर केंद्रित हैं जो प्लास्टिक के पूरे जीवन चक्र को कवर करेगी।
प्लास्टिक प्रदूषण एक गंभीर वैश्विक पर्यावरणीय और स्वास्थ्य आपातकाल है। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) के अनुसार, यदि कोई अंतरराष्ट्रीय समझौता नहीं हुआ, तो 2060 तक प्लास्टिक का उत्पादन और कचरा तीन गुना हो सकता है। एक हालिया रिपोर्ट में यह भी चेतावनी दी गई है कि प्लास्टिक प्रदूषण से हर साल 1.5 ट्रिलियन डॉलर से अधिक का स्वास्थ्य-संबंधी आर्थिक नुकसान होता है, और यह शिशुओं से लेकर बुजुर्गों तक सभी को प्रभावित करता है। फ्रांस और यूरोपीय संघ जैसे देश एक महत्वाकांक्षी और कानूनी रूप से बाध्यकारी समझौते के लिए प्रतिबद्ध हैं, जबकि सऊदी अरब और रूस जैसे तेल उत्पादक देश रीसाइक्लिंग-केंद्रित दृष्टिकोण का समर्थन कर रहे हैं। ग्रीनपीस जैसे पर्यावरण संगठन 2040 तक प्लास्टिक उत्पादन में 75% की कमी और कुछ एकल-उपयोग वाले उत्पादों पर प्रतिबंध लगाने की मांग कर रहे हैं। 2024 में, मानवता ने 500 मिलियन टन से अधिक प्लास्टिक का उपभोग किया, जिसमें से 399 मिलियन टन प्लास्टिक कचरा बन गया, जबकि केवल 9% प्लास्टिक का ही विश्व स्तर पर पुनर्चक्रण होता है। यह संधि पेरिस जलवायु समझौते के समान ही महत्वपूर्ण मानी जा रही है, और जिनेवा में हो रही यह बैठक वैश्विक सहयोग से इस संकट का समाधान निकालने का एक ऐतिहासिक अवसर प्रदान करती है।