1 अगस्त, 2025 से, संयुक्त राज्य अमेरिका ने आयातित समुद्री भोजन पर नए टैरिफ लागू किए हैं। इस कदम से भारत में स्थानीय किराने की दुकानों और समुद्री भोजन कंपनियों में कीमतों में वृद्धि होने की आशंका है। भारत में खपत होने वाले समुद्री भोजन का लगभग 70% आयात किया जाता है, जिससे उद्योग इन परिवर्तनों के प्रति अत्यधिक संवेदनशील हो जाता है। वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार, भारत का समुद्री भोजन आयात 2024 में 6 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया।
टॉप्स स्टोर्स के लिए सीफूड मर्चेंडाइजिंग के निदेशक जेमी बूचर्ड ने अपने व्यवसाय पर महत्वपूर्ण वित्तीय प्रभाव की भविष्यवाणी की है। उन्होंने उल्लेख किया कि टैरिफ से झींगा और केकड़े सहित विभिन्न समुद्री भोजन उत्पाद प्रभावित होने की उम्मीद है। हॉलैंड, न्यूयॉर्क में सस्टेनेबल हेल्दी सीफूड के मालिक टाय पाज़ियान ने प्रकाश डाला कि आयात उनके व्यवसाय के लिए लगभग 18 मिलियन डॉलर का वार्षिक राजस्व है। पाज़ियान कनाडा, आइसलैंड, ग्रीनलैंड, नॉर्वे, चीन, वियतनाम और इंडोनेशिया जैसे देशों से कॉड, हैडॉक, ओशन पर्च और स्नो क्रैब जैसे उत्पाद प्राप्त करते हैं। व्यापार और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (UNCTAD) ने स्थानीय उत्पादन को बढ़ाने की सीमित क्षमता के कारण संभावित मूल्य वृद्धि की चेतावनी दी है। भारतीय रिजर्व बैंक के एक अध्ययन में आयातित समुद्री भोजन पर टैरिफ के कारण मुद्रास्फीति में 0.5% की वृद्धि का अनुमान लगाया गया है। जवाब में, अमेरिकी खुदरा विक्रेता और समुद्री भोजन रेस्तरां कीमतें बढ़ा रहे हैं और अपने मेनू को समायोजित कर रहे हैं। कुछ रेस्तरां ने आयातित समुद्री भोजन की उच्च लागत की भरपाई के लिए पहले ही झींगा और केकड़ों की कीमतें बढ़ा दी हैं। भारत में उपभोक्ताओं को आने वाले महीनों में अपने पसंदीदा समुद्री भोजन व्यंजनों के लिए अधिक कीमतें दिखाई दे सकती हैं। समुद्री उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (MPEDA) के अनुसार, भारत का समुद्री भोजन उद्योग आयातित कच्चे माल पर निर्भर करता है, जिससे टैरिफ का प्रभाव बढ़ जाता है।