जलवायु परिवर्तन का सेमीकंडक्टर उद्योग पर प्रभाव: भविष्य की चुनौतियाँ

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जलवायु परिवर्तन का सेमीकंडक्टर उद्योग पर गहरा असर पड़ रहा है, और भविष्य में इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।

पीडब्ल्यूसी की एक रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि जलवायु परिवर्तन, विशेष रूप से सूखे के कारण, तांबे के खनन कार्यों में बाधा डालकर वैश्विक सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला को गंभीर रूप से खतरा पैदा कर सकता है, जो सेमीकंडक्टर निर्माण का एक महत्वपूर्ण घटक है।

हिंदी में खोज के नतीजों से पता चला है कि भारत भी इस वैश्विक समस्या से अछूता नहीं है। सेमीकंडक्टरों की बढ़ती मांग और जलवायु परिवर्तन के कारण तांबे की आपूर्ति में संभावित व्यवधान भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटोमोबाइल उद्योगों को प्रभावित कर सकते हैं। भारत सरकार को इस चुनौती का सामना करने के लिए आपूर्ति श्रृंखलाओं में विविधता लाने और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देने जैसी रणनीतियों पर विचार करना चाहिए।

इसके अतिरिक्त, चिली में अलवणीकरण संयंत्रों में निवेश और जाम्बिया में एक टेलिंग बांध की विफलता, संसाधन निष्कर्षण से जुड़े संभावित पर्यावरणीय और सामाजिक लागतों को उजागर करती है।

यह भी पता चला है कि 2030 तक वैश्विक चिप उद्योग 1 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है, जो इस क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को और अधिक महत्वपूर्ण बनाता है।

कुल मिलाकर, सेमीकंडक्टर उद्योग का भविष्य जलवायु परिवर्तन से निपटने और महत्वपूर्ण संसाधनों की स्थिर आपूर्ति सुनिश्चित करने की क्षमता पर निर्भर करता है। भारत को इस वैश्विक चुनौती का सामना करने के लिए सक्रिय रूप से कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उसका तकनीकी और आर्थिक विकास बाधित न हो।

स्रोतों

  • South China Morning Post

  • One-third (32%) of projected US$1 trillion semiconductor supply could be at risk within a decade unless industry adapts to climate change | PwC

  • Antofagasta launches desalination plant for Los Pelambres copper mine in Chile

  • 2025 Sino-Metals Leach Zambia dam disaster

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