यूनिवर्सिटी ऑफ बॉरडो और यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन के शोधकर्ताओं द्वारा हाल ही में किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि हमारे प्राचीन पूर्वज, निएंडरथल, केवल ताज़े मांस पर निर्भर नहीं थे, बल्कि वे मैगॉट्स (कीड़े के लार्वा) का भी सेवन करते थे। यह खोज साइंस एडवांसेज में प्रकाशित हुई है और यह निएंडरथल के आहार के बारे में हमारी समझ को नया आयाम देती है। शोधकर्ताओं ने निएंडरथल के अवशेषों में नाइट्रोजन-15 के उच्च स्तर का विश्लेषण किया, जो आमतौर पर उच्च-मांस आहार का संकेत देता है। हालांकि, यह उच्च स्तर प्रोटीन विषाक्तता की समस्या को भी जन्म दे सकता है। इस पहेली को सुलझाने के लिए, मिशिगन विश्वविद्यालय के मानवविज्ञानी जॉन स्पैथ ने 2017 में एक परिकल्पना प्रस्तुत की थी कि निएंडरथल आंशिक रूप से विघटित मांस खा सकते थे जिसमें मैगॉट्स होते थे। इस परिकल्पना का परीक्षण करने के लिए, शोधकर्ताओं ने आधुनिक मानव मांस के नमूनों और उनमें पनपने वाले मैगॉट्स में नाइट्रोजन के स्तर का अध्ययन किया। उन्होंने पाया कि मैगॉट्स में नाइट्रोजन-15 का स्तर काफी अधिक होता है, जो निएंडरथल द्वारा मैगॉट्स के सेवन को उनके नाइट्रोजन-15 के उच्च स्तर का एक प्रमुख कारण बताता है। मैगॉट्स वसा से भरपूर और पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं, जो उन्हें एक मूल्यवान खाद्य स्रोत बनाते हैं।
यह खोज मानव विकास और प्रागैतिहासिक आहार के बारे में हमारी समझ को गहरा करती है। यह दर्शाता है कि निएंडरथल अपने पर्यावरण के अनुकूल ढलने में कितने कुशल थे और उन्होंने अपने अस्तित्व के लिए विभिन्न प्रकार के खाद्य स्रोतों का उपयोग किया। यह भी दिलचस्प है कि कई स्वदेशी संस्कृतियों, जैसे कि इनुइट लोग, ने ऐतिहासिक रूप से सड़े हुए मांस और मैगॉट्स का सेवन किया है, जिसे वे पौष्टिक मानते थे। ग्रीनलैंड के खोजकर्ता नूड रासमुसेन ने 1928 में इनुइट लोगों द्वारा मैगॉट्स से भरे सड़े हुए कारिबू मांस का आनंद लेने का वर्णन किया था। आधुनिक समय में सार्डिनिया का कैसु मारज़ू (Casu Marzu) पनीर भी मैगॉट्स के साथ खाया जाता है, जो इस बात का एक और उदाहरण है कि कैसे कुछ संस्कृतियों में मैगॉट्स को भोजन का एक स्वीकार्य हिस्सा माना जाता है। यह शोध निएंडरथल के आहार के बारे में हमारी सोच को बदलता है और हमें यह समझने में मदद करता है कि उन्होंने अपने अस्तित्व के लिए किन रणनीतियों को अपनाया।