हाल के अध्ययनों से पता चला है कि छात्रों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति (SES) उनके शैक्षिक प्रदर्शन को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करती है। उच्च SES वाले छात्रों को बेहतर शैक्षणिक परिणाम प्राप्त करने की संभावना अधिक होती है, जबकि कम SES वाले छात्रों को चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। यह मुद्दा शिक्षा जगत और नीति निर्माताओं के लिए एक महत्वपूर्ण चिंता का विषय है।
अध्ययनों से पता चला है कि SES में पारिवारिक आय, माता-पिता की शिक्षा और व्यवसाय शामिल हैं। ये कारक छात्रों को मिलने वाले संसाधनों और अवसरों को प्रभावित करते हैं। उदाहरण के लिए, उच्च SES वाले छात्रों को बेहतर स्कूल, ट्यूशन और अन्य शैक्षिक सहायता प्राप्त करने की अधिक संभावना होती है। इसके अतिरिक्त, उनके माता-पिता अक्सर शिक्षा के महत्व पर अधिक जोर देते हैं और छात्रों को प्रेरित करने में अधिक सक्षम होते हैं।
पोलैंड में, 1999 के शैक्षिक सुधारों का उद्देश्य सामाजिक-आर्थिक असमानताओं को कम करना था। हालांकि, हाल के शोध से पता चला है कि सुधार ने शैक्षिक उपलब्धि में अंतर को पूरी तरह से कम नहीं किया। यह दर्शाता है कि SES अभी भी एक महत्वपूर्ण कारक है। शोध में यह भी पाया गया है कि उच्च SES वाले छात्रों के लिए बेहतर परिणाम प्राप्त करने की संभावना अधिक होती है।
शैक्षिक असमानताओं को दूर करने के लिए, नीति निर्माताओं और शिक्षकों को विभिन्न रणनीतियों पर विचार करना चाहिए। इनमें कम आय वाले परिवारों के लिए छात्रवृत्ति और वित्तीय सहायता प्रदान करना, स्कूलों में संसाधनों का समान वितरण सुनिश्चित करना और सभी छात्रों के लिए उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करना शामिल है। यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि सभी छात्रों को उनकी सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि की परवाह किए बिना, सफल होने का समान अवसर मिले।