वेस्ट बैंक में फिलिस्तीनी विस्थापन: एक सामाजिक-मनोवैज्ञानिक विश्लेषण

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वेस्ट बैंक में फिलिस्तीनियों का बड़े पैमाने पर विस्थापन एक गंभीर सामाजिक-मनोवैज्ञानिक संकट है, जिसके दूरगामी परिणाम हैं। संयुक्त राष्ट्र ने इस स्थिति की निंदा की है, क्योंकि जनवरी 2025 में इजरायली सैन्य अभियान "आयरन वॉल" की शुरुआत के बाद से 40,000 से अधिक फिलिस्तीनी विस्थापित हुए हैं, जो 1967 के बाद से वेस्ट बैंक में सबसे बड़ा जनसंख्या विस्थापन है। यह घटना न केवल भौतिक क्षति और विस्थापन का कारण बनती है, बल्कि प्रभावित लोगों के मानसिक स्वास्थ्य और सामाजिक ताने-बाने पर भी गहरा प्रभाव डालती है।

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय (OHCHR) ने बताया है कि इजरायली अधिकारियों ने लंबे समय से चले आ रहे फिलिस्तीनी कस्बों और समुदायों से बड़ी संख्या में लोगों को स्थानांतरित करने के उपाय तेज कर दिए हैं। UNRWA की प्रवक्ता जूलियट टौमा ने कहा कि इस ऑपरेशन ने कई शरणार्थी शिविरों को प्रभावित किया है। विस्थापन से प्रभावित लोगों में असुरक्षा, तनाव और निराशा की भावनाएँ बढ़ जाती हैं। घरों और समुदायों से जबरन बेदखली से सामाजिक संबंध टूट जाते हैं, और सांस्कृतिक पहचान को खतरा होता है। इसके अतिरिक्त, विस्थापित आबादी अक्सर गरीबी, बेरोजगारी और भेदभाव का सामना करती है, जिससे उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति और भी खराब हो जाती है। इन सबसे बढ़कर, बच्चों पर इसका बहुत बुरा असर पड़ता है, क्योंकि वे अपने घरों, स्कूलों और दोस्तों से दूर हो जाते हैं, जिससे उनके विकास और शिक्षा पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

वेस्ट बैंक में बढ़ते तनाव के बीच, फिलिस्तीनी बच्चे गंभीर मनोवैज्ञानिक चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। 2025 में, यूनिसेफ और सेव द चिल्ड्रन सहित एक गठबंधन की एक हालिया रिपोर्ट में पाया गया कि वेस्ट बैंक, जिसमें पूर्वी येरुशलम भी शामिल है, के 84 स्कूल वर्तमान में इजरायली अधिकारियों द्वारा जारी विध्वंस आदेशों के अधीन हैं। इससे लगभग 12,655 छात्रों की शिक्षा खतरे में है, जिनमें से आधे से अधिक लड़कियाँ हैं।

इस संदर्भ में, यह समझना महत्वपूर्ण है कि फिलिस्तीनी समाज इस विस्थापन को कैसे देखता है। सोशल मीडिया और स्थानीय समुदायों में, लोग अपनी कहानियाँ साझा कर रहे हैं और एक-दूसरे को सहारा दे रहे हैं। यह एकजुटता और सामाजिक समर्थन की भावना महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह लोगों को अपनी पहचान और गरिमा बनाए रखने में मदद करती है। हालांकि, यह भी सच है कि निरंतर विस्थापन और हिंसा के कारण फिलिस्तीनी समाज में निराशा और अविश्वास की भावनाएँ बढ़ रही हैं। लोग अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं और उन्हें लगता है कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय उनकी रक्षा करने में विफल रहा है।

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय (OHCHR) ने कहा कि 16 और 22 जून को, इजरायली सुप्रीम कोर्ट ने पांच फिलिस्तीनी परिवारों, 37 लोगों को, सिलवान के बैटन एल हवा पड़ोस में उनके घरों से बेदखल करने का समर्थन किया, जो भेदभावपूर्ण कानूनों पर आधारित है जो यहूदी व्यक्तियों को 1948 के युद्ध में खोई हुई संपत्ति को पुनः प्राप्त करने की अनुमति देते हैं, जबकि फिलिस्तीनियों को वही अधिकार नहीं दिए जाते हैं।

इसलिए, इस संकट को हल करने के लिए, न केवल भौतिक सहायता प्रदान करना महत्वपूर्ण है, बल्कि सामाजिक-मनोवैज्ञानिक समर्थन भी प्रदान करना आवश्यक है। विस्थापित लोगों को परामर्श, मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं और सामाजिक समर्थन प्रदान करने से उन्हें अपनी भावनाओं से निपटने, अपने समुदायों का पुनर्निर्माण करने और भविष्य के लिए आशा बनाए रखने में मदद मिल सकती है। इसके अतिरिक्त, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को इजरायल पर दबाव डालना चाहिए कि वह विस्थापन की नीतियों को समाप्त करे और फिलिस्तीनियों के अधिकारों का सम्मान करे। ऐसा नहीं करने पर, इस क्षेत्र में सामाजिक और मनोवैज्ञानिक संकट और गहरा हो सकता है, जिससे दीर्घकालिक अस्थिरता और संघर्ष का खतरा बढ़ जाएगा।

स्रोतों

  • Die Presse

  • Reuters

  • Reuters

  • Financial Times

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