अमेरिका द्वारा नए टैरिफ और व्यापार समझौतों को लागू करने से भविष्य में वैश्विक व्यापार और आर्थिक संबंधों पर क्या प्रभाव पड़ेगा, इस पर सवाल उठ रहे हैं।
जुलाई 2025 में, संयुक्त राज्य अमेरिका ने नए टैरिफ लागू किए और वियतनाम, चीन और यूनाइटेड किंगडम के साथ व्यापार समझौते किए, जिससे अंतरराष्ट्रीय व्यापार में तनाव बढ़ गया । इन फैसलों के दूरगामी परिणाम हो सकते हैं, जिससे वैश्विक व्यापार और आर्थिक संबंधों में बदलाव आ सकता है ।
BRICS देशों ने एकतरफा टैरिफ उपायों पर चिंता व्यक्त की है जो व्यापार को बाधित करते हैं और WTO नियमों का उल्लंघन करते हैं । चीन के साथ हुए समझौते में 90 दिनों के लिए आपसी टैरिफ को 104% से घटाकर 10% करने का प्रावधान है, लेकिन फेंटानिल पर टैरिफ 20% पर ही रहा । भारत में, इन परिवर्तनों का निर्यात और आयात पर सीधा असर पड़ सकता है, जिससे वस्तुओं की कीमतें और व्यवसायों की प्रतिस्पर्धा प्रभावित हो सकती है।
यूनाइटेड किंगडम के साथ हुए व्यापार समझौते में कुछ विमान भागों और धातुओं पर टैरिफ को खत्म करने, 100,000 कारों पर टैरिफ को 25% से घटाकर 10% करने, अमेरिकी इथेनॉल पर टैरिफ को खत्म करने और 13,000 मीट्रिक टन अमेरिकी बीफ की अनुमति देने का प्रावधान है । भारत में, इन परिवर्तनों का कृषि क्षेत्र पर असर पड़ सकता है, जिससे बाजारों तक पहुंच और कृषि उत्पादों की प्रतिस्पर्धा प्रभावित हो सकती है।
कुल मिलाकर, अमेरिका के नए टैरिफ और व्यापार समझौते वैश्विक व्यापार प्रणाली के लिए एक चुनौती पेश करते हैं और विभिन्न देशों और आर्थिक क्षेत्रों पर उनके प्रभावों का सावधानीपूर्वक विश्लेषण करने की आवश्यकता है। भारत को भी इन परिवर्तनों पर नजर रखनी चाहिए और नई वास्तविकता के अनुसार अपनी आर्थिक रणनीतियों को समायोजित करना चाहिए।