लंदन स्टॉक एक्सचेंज को 2025 के पहले भाग में प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकश (आईपीओ) में भारी गिरावट का सामना करना पड़ा, जिससे इसकी प्रतिस्पर्धात्मकता प्रभावित हुई। इस गिरावट से नए लिस्टिंग के लिए यूके बाजार के आकर्षण के बारे में चिंताएं बढ़ गई हैं। यह जानकारी अर्न्स्ट एंड यंग (ईवाई) की रिपोर्ट और एफसीए की लिस्टिंग रिजीम रिफॉर्म्स पर आधारित है।
2025 की पहली तिमाही में, लंदन स्टॉक एक्सचेंज में केवल पांच नए आईपीओ देखे गए, जिनसे £74.7 मिलियन जुटाए गए। यह 2024 में इसी अवधि में जुटाए गए £288.8 मिलियन से 74% की साल-दर-साल गिरावट है। अमेरिकी व्यापार शुल्क सहित व्यापक आर्थिक और भू-राजनीतिक अनिश्चितता ने बाजार में अस्थिरता बढ़ा दी है। भारत में भी, बाजार की भावना वैश्विक आर्थिक रुझानों से प्रभावित होती है।
वित्तीय आचरण प्राधिकरण (एफसीए) ने नए लिस्टिंग को आकर्षित करने के लिए जुलाई 2024 में सुधार लागू किए। गिरावट के बावजूद, मेटलेन एनर्जी एंड मेटल्स जैसी कंपनियां अगस्त 2025 में लिस्टिंग करने की योजना बना रही हैं। एफसीए के सुधारों का आईपीओ परिदृश्य पर उनके प्रभाव का आकलन करने के लिए पूरे 2025 में परीक्षण किया जाएगा। सेबी (SEBI) जैसे भारतीय नियामक भी बाजार की स्थिरता और विकास को बढ़ावा देने के लिए लगातार उपाय कर रहे हैं।
आईपीओ गतिविधि में गिरावट से यूके स्टॉक मार्केट को चुनौती मिल रही है। नियामक सुधार और आगामी लिस्टिंग पुनरुद्धार की उम्मीद प्रदान करते हैं, लेकिन सफलता आर्थिक स्थितियों और निवेशकों के विश्वास पर निर्भर करती है। इस बीच, भारतीय शेयर बाजार, अपनी मजबूत घरेलू मांग और बढ़ते मध्यम वर्ग के साथ, वैश्विक चुनौतियों के बावजूद लचीला बना हुआ है।